ख़ुशी के गीत गाए जा रहा हूँ
मैं इक सदमा दबाए जा रहा हूँ
मेरे दिल पर अभी है वेहशत-ए-बू
सो ख़ुशबू में नहाए जा रहा हूँ
वो मुझको छोड़ देना चाहती है
मगर मैं ही निभाए जा रहा हूँ
शग़फ़ तितली से मुझको क्या रहेगी
मैं रस्म-ए-गुल निभाये जा रहा हूँ
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