ख़्वाबों ने दिल में दरवाज़े खोले हैं
उसने जब खिड़की के पर्दे खोले हैं
मैं तो गिरहें लगा चुका था इस दिल पर
उसने आँखें खोल के ताले खोले हैं
अब समझा हूँ कितनी ग़लत फ़हमी में था
मैंने जब रिश्तों के पत्ते खोले हैं
वरना मेरी आँख में कोई नूर न था
उसने ही सूरज के पिंजरे खोले हैं
हवस मिटा कर उसने मुहब्बत माँगी है
जिस्मों ने रूहों के रस्ते खोले हैं
हमें कोई बतला दो इश्क़ बला क्या है
हमने बस जिस्मों के फ़ीते खोले हैं
दर्दों ने ख़ुद चीख के मरहम माँगा है
उसने जब ज़ख़्मों के टांके खोले हैं
सारे पंछी तोड़ चुके हैं दम अपना
तुमने थोड़ी देर से पिंजरे खोले हैं
पहली बार मुहब्बत जिस्म से हारी है
उसने जिस तेज़ी से कपड़े खोले हैं
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