तुमसे मिलकर यूँ लगता है
जैसे बाग़ में फूल खिला है
तुम अपने से क्यूँ लगते हो
मेरा तुमसे क्या रिश्ता है
हमने इश्क़ तो छोड़ दिया था
इश्क़ ने पर किसको छोड़ा है
और भला अब क्या बतलाऊँ
हाल मिरा भी तुम जैसा है
लेकिन अच्छा क्या तुमको भी
और कोई अच्छा लगता है
तुमसे बेहतर कौन मिलेगा
पर तुमने भी कब मिलना है
तुम अच्छी लड़की हो लेकिन
क्या वो भी अच्छा लड़का है
नाम पता चेहरा आवाज़ें
तू तो सब कुछ भूल चुका है
मैं तो इक रोता चेहरा हूँ
रोता चेहरा कहाँ बिका है
वो लड़की तो अनपढ़ थी ना
उस का ख़त किसने लिक्खा है
अब तो मैसेंजर चलते हैं
ख़त का ज़माना कहाँ बचा है
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