ज़िन्दगी कट गई अज़िय्यत में

  - Rahul Gurjar

ज़िन्दगी कट गई अज़िय्यत में
याद सबने किया ज़रूरत में

ग़म , ख़ुशी ,याद और हर ख़्वाहिश
लिख रहा हूं मैं "दोस्त" इस ख़त में

इक कहानी को दफ़्न होना था
एक दीवार की मरम्मत में

घर में नान ओ नमक ज़रूरी था
एक फ़न दब गया मईशत में

मुझ को परवाज़ की थी चाह बहुत
पर रिहाई नहीं थी क़िस्मत में

हिज्र की आग ने मुझे मारा
हो गया ख़ाक मैं भी फ़ुर्क़त में

  - Rahul Gurjar

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