हम तुम्हारी जालसाज़ी पर नहीं रोए
हमको रोना था सहेली पर नहीं रोए
हमने कंधा चाहा था उसने हथेली दी
एक ज़िद थी हम हथेली पर नहीं रोए
एक पत्थर रह गया था मेरे सीने में
आप की हर चीज टूटी पर नहीं रोए
जो चुने है इश्क़ उनको इक हिदायत है
कोई अपनी पाएमाली पर नहीं रोए
मय पिलाने पर आ जाने थे मेरे आँसू
दोस्त ने काफ़ी पिलाई पर नहीं रोए
आग से कह पानी बनने की न सोचे वो
जलने दे अब मोमबत्ती पर नहीं रोए
मैं उसे ख़ुश देखकर रोऊंगा सो कल वो
देख मुझको मुस्कुराई पर नहीं रोए
भूखे सोए पानी पी कर मुफ़लिसी काटी
पर किसी की भी हवेली पर नहीं रोए
तेरे रोने पर भी रोने वाले हमने बाद
तेरे अपनी मौत देखी पर नहीं रोए
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