दयार खोल ख़ुशी की बहार लाया हूँ - Shajar Abbas

दयार खोल ख़ुशी की बहार लाया हूँ
तिरा सफ़ीर हूँ पैग़ाम-ए-यार लाया हूँ

गले लगा इन्हें ज़ाया न कर शिकायत में
मैं ज़िंदगानी से कुछ पल उधार लाया हूँ

किसी मज़ार की चौखट पे रख के पेशानी
मैं अपना बिगड़ा मुक़द्दर सवार लाया हूँ

तिरी ख़ुशी के लिए मैं नदी के आँचल में
फ़लक से चाँद सितारे उतार लाया हूँ

शजर यक़ीं करो तूफ़ान-ए-बे-वफ़ाई से
वफ़ा की नाव को मुश्किल से पार लाया हूँ

- Shajar Abbas
1 Like

More by Shajar Abbas

As you were reading Shayari by Shajar Abbas

Similar Writers

our suggestion based on Shajar Abbas

Similar Moods

As you were reading undefined Shayari