जब से मज़ार-ए-इश्क़ का ख़ुद्दाम हो गया - Shajar Abbas

जब से मज़ार-ए-इश्क़ का ख़ुद्दाम हो गया
ये दिल हमारा और भी गुलफ़ाम हो गया

मतलब बता रहा था जो कल एतिबार का
ख़ुद एतिबार तोड़ के गुमनाम हो गया

वो फिर से इश्क़ करने की जुरअत नहीं करे
जो शख़्स पहले इश्क़ में नाकाम हो गया

अफ़सोस चंद दिरहम-ओ-दीनार के लिए
यूसुफ़ का हुस्न सूक़ में नीलाम हो गया

हर रोज़ की तरह से शजर देख लो मिरा
दिल फिर से नज़र-ए-गर्दिश-ए-अय्याम हो गया

- Shajar Abbas
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