ग़ज़ल गज़ाल की वो आपने सुनी होगी
मलाल आपको होगा हमें खुशी होगी
गरेंबा अपना ज़ुलेखां से पाक रखने को
कमाल-ए-हज़रत-ए-यूसुफ की पैरावी होगी
फ़िराक-ए-यार में ख़ुद को तबाह कर देना
ये अहमाकाना पन होगा ये बुज़दिली होगी
मता-ए-जान के कूचे से होके जाना हैं
वो मुंताज़िर मेरी दरवाज़े पर खड़ी होगी
मसायब-ए-शब-ए-हिज्रा बयान होंगे यहाँ
फिर उसके बाद तबीयत से मयकशी होगी
मैं उस हसीना की आदत से ख़ूब वाकिफ़ हूँ
वो मेरा तज़किरा सुन सुन के हंस रही होगी
लकीर हाथ की पढ़कर कहा नजूमी ने
तुम्हारी इश्क़ में बर्बाद ज़िन्दगी होगी
चलो ये वादा करो आज से 'शजर' ज़ैदी
विसाल छोड़ के फ़ुरक़त पर शायरी होगी
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