निगाह-ए-फ़ित्ना-सामाँ उठ रही है
दिल-ए-अफ़सुर्दा में हलचल मची है
ख़ुदा तेरे चमन की वो कली है
ग़ज़ल जिसके तसव्वुर में लिखी है
फ़क़त ये हासिल-ए-'उम्र-ए-वफ़ा है
हयात-ए-जावेदाँ उजड़ी पड़ी है
सर-ए-बाज़ार आया हुस्न-ए-युसूफ
ख़बर ये मिस्र में फैली हुई है
बला-ए-इश्क़ से ख़ुद को बचाओ
मता'-ए-जाँ तुम्हारी कम सिनी है
दयार-ए-नाज़ की आब-ओ-हवा सब
क़सम से हू-ब-हू फ़िरदौस सी है
हयात-ए-ख़िज़र मुझको दे दे या रब
दुआ ये होंठों पे उसके सजी है
निगाह-ए-लुत्फ़ से देखा है उसने
ख़बर दिल के दरीचों में उड़ी है
हमें ये ग़म नहीं ग़मगीन हैं हम
कोई ख़ुश है हमें इसकी ख़ुशी है
मकीं हैं जो मेरे कूचा-ए-दिल में
शजर मुल्क-ए-सुलैमाँ की परी है
तुम्हारे नाम की देखो शजर तुम
हिना दस्त-ए-मुबारक पर रची है
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