कैसे मुममिन है मैं तेरे ज़ुल्फ़ों की बातें न करूँ - Aatish Indori

कैसे मुममिन है मैं तेरे ज़ुल्फ़ों की बातें न करूँ
तेरी ज़ुल्फ़ों ने जो दिए उन लम्हों की बातें न करूँ

कैसे तुमको जवाब दे दूँ तुमने ही तो क़सम दी थी
नाम बदल के भी मैं अपने रिश्तों की बातें न करूँ

सुनती कब हो तुम तो अपने वाले दिखाने लगती हो
अच्छा यही है तुमसे अपने ज़ख़्मों की बातें न करूँ

अच्छे हो माना पर अमृता के इमरोज़ नहीं हो तुम
बेहतर यही रहेगा पिछले रिश्तों की बातें न करूँ

- Aatish Indori
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