ये ऐसी है वो वैसी है सदा आगाह करती है
मुहब्बत तो नहीं करती मगर परवाह करती है
बना रहता है इस कारण हमारे बीच का रिश्ता
ज़रूरी जितना है उतना तो वो निरबाह करती है
तुम्ही से ही नहीं सब से ही रहती है वो घुल मिल के
मुझे भी देखना यह है कि किससे ब्याह करती है
मुहब्बत भी की है और बेवफ़ाई भी की है उसने
बहुत अच्छे से ग़ज़लों पे मेरी इस्लाह करती हैं
आतिश इंदौरी
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