लोग मर जाने के फिर बाद किधर जाते हैं
हम यही जान ने की ज़िद में गुज़र जाते हैं
इस मोहब्बत ने दिखाए हैं कुछ इतने कम ज़र्फ़
ज़बाँ क्या चीज़ वो वादों से मुकर जाते हैं
ये अलग बात कि पत्थर हो गए हैं फिर भी
हम तुझे आज भी देखे है तो मर जाते हैं
उस को देखूँ हूँ तो बिनाई बड़ी जाती है
उस की तस्वीर से सब ज़ख़्म निख़र जाते हैं
यादें काटों की तरह चुभती है दिल में हर रोज़
रोज़ हम कांँच के मानिंद बिख़र जाते हैं
राएगाँ मानता हूँ उन सभी की ज़िन्दगी को
लोग जो तुझको बिना देखे ही मर जाते हैं
गर निकाले है हमें दिल से तो फिर ये भी बता
यहाँ से निकले हुए ख़्वार किधर जाते हैं
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