इश्क़ का नाम-ओ-नसब याद आया
सब जो भूला था मैं अब याद आया
हम ने समझा था बहार-ए-ग़म है
वो तेरी याद थी अब याद आया
इश्क़ के नाम बहुत रोए हम
हादिसा हम को अजब याद आया
बद-ज़बानी में कटी उम्र-ए-रवाँ
आख़िरी वक़्त अदब याद आया
ले गया मुझको भी कर्बल की तरफ़
तिश्ना-लब मुझको वो जब याद आया
मैं जिसे सोचा किया देर तलक
बेवफ़ा इश्क़ था अब याद आया
हिज्र में मौत न आई मुझको
इतने तड़पे हैं कि रब याद आया
आप किस बात पे रोए 'साहिल'
क्या कोई नग़्मे तरब याद आया
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