अपने हालात छुपाए दुनिया
और हक़ीरों को सताए दुनिया
मुझ से पहले भी कई चेहरे थे
मुझ पे इल्ज़ाम न लाए दुनिया
दे के तोहफ़ा ये दुआ भी दी है
जा तुझे रास न आए दुनिया
फिर नया तर्क-ए-तअल्लुक़ माँगे
इक घड़ी बाज़ न आए दुनिया
रौशनी ढूँढे मगर ढूँढ न पाए
इतनी आगे भी न जाए दुनिया
फिर तेरी दीद की ख़्वाहिश रक्खे
फिर वही ख़्वाब दिखाए दुनिया
किसी की याद किसी की ख़ुश्बू
किसी का गीत सुनाए दुनिया
गर मिले तुमको तो उससे कहना
इक दफ़ा फिर से बनाए दुनिया
हम तो सय्यद थे हमारी न बनी
फिरते थे सर पे उठाए दुनिया
As you were reading Shayari by Aves Sayyad
our suggestion based on Aves Sayyad
As you were reading undefined Shayari