दिया है क़ुदरत ने ऐ सितम-गर तुम्हें ये क्या ला-जवाब चेहरा
ज़मीं पे हैरत बना हुआ है तुम्हारा ये माहताब चेहरा
हमें ख़बर है कि इन दिनों हम कहीं मिले तो यहीं मिलेंगे
तुम्हारी आँखों में ढूँढ लेंगे हम अपना ख़ाना-ख़राब चेहरा
सुनाएँ क्या हम ये जानते हैं कि जी का बाक़ी सुकूँ लुटेगा
हमारे नग़्मों पे रो पड़ेगा तुम्हारा हँसता गुलाब चेहरा
ख़ुद उसके चेहरे पे जाने कितनी हज़ार बातें लिखी हुई हैं
और इक कहानी भी पढ़ रहा है मेरे सनम का किताब चेहरा
वो जिसने अबरू की जुंबिशों से अमल सभी के रक़म किए हैं
करम हमारे भी लिख ही देगा गुनाह चेहरा सवाब चेहरा
'बशर' ये आलम में उसको देखें तो दिल में क्या क्या ख़याल आए
नशे की मौजों में जैसे झूमे किसी का बेख़ुद शराब चेहरा
Read Full