जीवन मुझसे, मैं जीवन से शरमाता हूं
मुझसे आगे जाने वालों, मैं आता हूं
जिनकी यादों से रौशन हैं मेरी आंखें
दिल कहता है उनको भी मैं याद आता हूं
सुर से सांसों का नाता है, तोड़ूं कैसे !
तुम जलते हो क्यों जीता हूं, क्यों गाता हूं
तुम अपने दामन में सितारे बैठ के टांकों
और मैं नए बरन लफ़्जों को पहनाता हूं
जिन ख़्वाबों को देख के मैंने जीना सीखा
उनके आगे हर दौलत ठुकराता हूं
ज़हर उगलते हैं जब मिलकर दुनिया वाले
मीठे बोलों की वादी में खो जाता हूं
'जालिब' मेरे शेर समझ में आ जाते हैं
इसीलिए कम रुत्बा शायर कहलाता हूं
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