सुनकर कितना दिल छोटा हो जाता है - Shayra kirti

सुनकर कितना दिल छोटा हो जाता है
उस पर कोई अपना हुक्म चलाता है

मैंने पलकों पर जिसका हर नाज़ रखा
कोई उसको पैरों पर ले आता है

ये ही अच्छा होगा कहकर छोड़ दिया
अच्छा करने वालों का क्या जाता है

जिसको कल ज़हमत थी फ़ोन उठाने में
रात बिरात अब ख़ुद से फ़ोन मिलाता है

आख़िर वक़्त तुम्हें ले आया मेरी जगह
मैं ना कहती थी ऐसा हो जाता है

- Shayra kirti
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