कई दिनों से लगे यूँ ही अब किसी पे एहसान कौन करता

  - Manohar Shimpi

कई दिनों से लगे यूँ ही अब किसी पे एहसान कौन करता
ये मुद्दआ फ़ालतू नहीं फिर भी ग़ौर से ध्यान कौन करता

नया नया इश्क़ ही हुआ है अगर तुम्हें इत्तिफ़ाक से ही
उसी के इज़हार पर भरोसा नहीं तो एलान कौन करता

ये इंतिहा इश्क़बाज़ की तय किसी ने की है ज़रा बताओ
बिना शरारत से प्यार बेहद हो तो परेशान कौन करता

नवाज़ दे या ख़ुदा मुझे भी कभी सदारत से तेरे यूँ ही
कि एक नाचीज़ के लिए फिर ये राह आसान कौन करता

मुझे मेरी रूह ही मनोहर बताए शय कैसे शायरी है
पढ़े इबादत करे उसे दिल से ही तो हैरान कौन करता

  - Manohar Shimpi

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