तुम्हारा नाम दिल ने हर घड़ी हर पल पुकारा है
भला तुम बिन हमारा कौन जीने का सहारा है
तुम्हारे बिन अगर ख़ुशियाँ भी हों तो क्या ही ख़ुशियाँ हैं
तुम्हारा साथ हो तो कोह-ए-रंज-ओ-ग़म गवारा है
ये दिल क्या है हमारी जान भी जान-ए-जाँ तुम रख लो
सभी कुछ तो तुम्हारा है कहाँ कुछ भी हमारा है
मोहब्बत खेल है वो जिस में सब कुछ उल्टा होता है
जो जीता है मोहब्बत में हक़ीक़त में वो हारा है
मैं ख़ुशबू से ही उस को दूर से पहचान लेता हूँ
हज़ारों की भी महफ़िल में मुझे वो आशकारा है
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