आज दिलों से इक इंसान निकलने में
देर नहीं लगती अरमान निकलने में
बाद रिहाई के भी लगता ही है , कुछ
वक्त परिंदे से जिंदान निकलने में
मरना कितना मुश्किल है तुम यूँ समझो
जान निकल जाती है जान निकलने में
As you were reading Shayari by Nirvesh Navodayan
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