तू गर मुफ़लिसों के सहारों में होता

  - Nityanand Vajpayee

तू गर मुफ़लिसों के सहारों में होता
तेरा नाम भी रहनुमाओं में होता

फ़क़ीरी अगर आ गई होती तुझको
तो लहरों से बचकर किनारों में होता

मैं बीमार-ए-ग़म हूँ मुहब्बत में तेरी
न रोता अगर तू निगाहों में होता

नहीं फाँसियाँ ले रहा होता बिल्कुल
जो ख़ुद्दार कोई किसानों में होता

तेरे चर्चे हर-सू ज़माने में होते
जो तू सच्चे ईमानदारों में होता

  - Nityanand Vajpayee

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