ये कौन है जो मुझे ख़्वाबों में सताता है
ख़याल-ए-दिल में बने रह के दिल जलाता है
मेरे दिल-ओ-जिगर में किसकी रहगुज़र है ये
ये कौन है जो कि घर ख़ुद का फूॅंके जाता है
मुझे क़रीब बुलाकर के तुम लगा लो गले
नहीं तो मेरा ये दिल टूटने पे आता है
है तेरी नर्म सी बाहों में अब मुक़ाम मेरा
जहाँ पे और कोई आता और न जाता है
किसी से दिल की आरज़ू न तुम करो ज़ाहिर
जहाॅं में किसका कोई काम यूँ बनाता है
ये हाल-ए-दिल है मेरा आपको बता तो दिया
भरोसे पर ही कोई राज़ यूँ बताता है
करो जो फ़िक्र तो फिर नित्य हो नहीं चर्चा
दिखावे भर से कोई प्यार तो न पाता है
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