दाग़ का चाँद पे आना भी बुरा लगता है
हमको ऐ दोस्त ज़माना भी बुरा लगता है
मुझको कमज़ोर मुहब्बत से बचाना बाबा
बेवफ़ा जिस्म का शाना भी बुरा लगता है
दम-ए-आख़िर न करो दीद की हसरत बाबा
आप जैसों का निशाना भी बुरा लगता है
जान देने का कोई शौक़ न पालो यारो
बाद मुद्दत के ख़जाना भी बुरा लगता है
हमको ता-उम्र है जीने की तमन्ना भी नइँ
बे-समय मौत का आना भी बुरा लगता है
हमसे मत पूछो कि संयस्थ का जीवन क्या है
हमको 'ग़ालिब' का दिवाना भी बुरा लगता है
पहले चाहेंगे हद-ए-पार मुहब्बत करना
हमको फिर प्यार निभाना भी बुरा लगता है
ज़िंदगी तल्ख़ हक़ीक़त ही है तो ऐ शायर
बे-सबब जोश जगाना भी बुरा लगता है
उसको खोने से डरा करते हो क्यूँ कर आख़िर
तुमको 'राकेश जी' पाना भी बुरा लगता है
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