क़ातिलों के हाथ में ख़ंजर नहीं बनने दूँगा

  - Rakesh Mahadiuree

क़ातिलों के हाथ में ख़ंजर नहीं बनने दूँगा
हाथ बन जाएँगे लेकिन सर नहीं बनने दूँगा

तुम मुझे गर छोड़कर के ख़ुश हो तो फिर ख़ुश रहना
मैं पराए दिल को अपना घर नहीं बनने दूँगा

तू मुझे गर मार कर आगे बढ़े तो बढ़ लेकिन
ऐ मुसव्विर मैं तेरा पैकर नहीं बनने दूँगा

रात तारों से सजेगी चाहे वो जब भी चमके
जुगनुओं को राह का पत्थर नहीं बनने दूँगा

जाने कैसी-कैसी आँखें तुझको छूने आएँगी
मैं किसी दम पे अजाइब-घर नहीं बनने दूँगा

फूल से माली ने कल ये रोते-रोते कह डाला
ऐ कमाल-ए-शय तुझे बिस्तर नहीं बनने दूँगा

जो भी उसको देखने आया वो उसको माँगा था
इस कहानी में मैं जादूगर नहीं बनने दूँगा

मुझको दुनिया-दारी का कुछ ठीक अन्दाज़ा नइँ है
पर मैं अपने दोस्त को शौहर नहीं बनने दूँगा

  - Rakesh Mahadiuree

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