इब्तिदा तुझी से है इंतिहा तुझी से है - SALIM RAZA REWA

इब्तिदा तुझी से है इंतिहा तुझी से है
ये निज़ाम दुनिया का ऐ ख़ुदा तुझी से है

जिन्न-ओ-हूर बहरो-बर सब तेरे करिश्मे हैं
इस जहान-ए-फ़ानी में जो बना तुझी से है

कौन है सिवा तेरे भर दे जो मेरा दामन
तू ही तो सहारा है आसरा तुझी से है

क्यूँ किसी के गुन गाऊँ क्यूँ किसी के दर जाऊँ
सब को तू ही देता है जो मिला तुझी से है

पल में तू बना देता पल में तू मिटा देता
ये बहार तुझसे है ज़लज़ला तुझी से है

तू गिरफ़्त में ले ले या कि छोड़ दे मौला
ज़िन्दगी के लम्हों का फ़ैसला तुझी से है

क्या बिसात है मेरी बिन करम तेरे दाता
शायरी की दुनिया में ये रज़ा तुझी से है

- SALIM RAZA REWA
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