जगमगाती ये जबीं आरिज़-ए-गुलफा़म रहे
तू जवानी का छलकता हुआ इक जाम रहे
गुल-ब-दामाँ तेरी हर सुब्ह रहे शाम रहे
हर तरफ़ सहन-ए-गुलिस्ताँ में तेरा नाम रहे
सारी दुनिया में तेरे इल्म की ख़ुशबू महके
जब तलक चाँद सितारे हों तेरा नाम रहे
इस तरह तेरे तसव्वुर में मगन हो जाऊँ
मुझको अपनों से न ग़ैरों से कोई काम रहे
जब तेरी दीद को हम शहर में तेरे पहुँच
अपने दामन से न लिपटा कोई इल्ज़ाम रहे
तेरी ख़ुशहाली की हरपल ये दुआ करते हैं
तेरे दामन में ख़ुशी सुब्ह रहे शाम रहे
हर क़दम मेरा उठे तेरी रज़ा की ख़ातिर
मेरे होंठों पे हमेशा तेरा पैगाम रहे
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