आज हम बरसों पुरानी में कहीं

  - Shivang Tiwari

आज हम बरसों पुरानी में कहीं
खो गए अपनी कहानी में कहीं

अब कहाँ होंगी वही अटखेलियाँ
छोड़ आए नाव पानी में कहीं

जो हसीं घड़ियाँ थीं वो छोड़ आए हैं
बचपने की पासबानी में कहीं

ऐसी खोई अब मिले मुमकिन नहीं
नींद हमने नौ-जवानी में कहीं

ज़िन्दगी ने ये भी दिन दिखलाए हैं
चल पड़े हैं बे-ध्यानी में कहीं

पाँव के छाले दिखाएँगे शिवांग
गर मिले हम ज़िन्दगानी में कहीं

  - Shivang Tiwari

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