आज हम बरसों पुरानी में कहीं
खो गए अपनी कहानी में कहीं
अब कहाँ होंगी वही अटखेलियाँ
छोड़ आए नाव पानी में कहीं
जो हसीं घड़ियाँ थीं वो छोड़ आए हैं
बचपने की पासबानी में कहीं
ऐसी खोई अब मिले मुमकिन नहीं
नींद हमने नौ-जवानी में कहीं
ज़िन्दगी ने ये भी दिन दिखलाए हैं
चल पड़े हैं बे-ध्यानी में कहीं
पाँव के छाले दिखाएँगे शिवांग
गर मिले हम ज़िन्दगानी में कहीं
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