jo vaade kiye hain nibhaate rahenge
mohabbat kii lau ko badhaate rahenge
tu chahe na chahe magar ham musalsal
tujhe yaad aaye hain aate rahenge
chalo kitni chaalein chaloge raqeebon
tumhein aaina ham dikhaate rahenge
koii to zamaane mein hoga hamaara
jise dard dil ka sunaate rahenge
nahin hoga tu to ye tasveer teri
kaleje se apne lagaate rahenge
mohabbat ke mazdoor hain ham to sohil
kamaate rahe hain kamaate rahenge
जो वादे किए हैं निभाते रहेंगे
मोहब्बत की लौ को बढ़ाते रहेंगे
तू चाहे न चाहे मगर हम मुसलसल
तुझे याद आए हैं आते रहेंगे
चलो कितनी चालें चलोगे रक़ीबों
तुम्हें आइना हम दिखाते रहेंगे
कोई तो ज़माने में होगा हमारा
जिसे दर्द दिल का सुनाते रहेंगे
नहीं होगा तू तो ये तस्वीर तेरी
कलेजे से अपने लगाते रहेंगे
मोहब्बत के मज़दूर हैं हम तो सोहिल
कमाते रहे हैं कमाते रहेंगे
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