दुआ पूरी नहीं होती वहाँ नज़रें जमाने से
कहीं भी कुछ नहीं होता सितारे टूट जाने से
नज़र को हम उठा कर के भला देखें नज़ारे क्या
हमें फ़ुर्सत नहीं मिलती कभी आँसू बहाने से
शबाहत देख कर मेरी ये मुझ से आइना बोला
यही सूरत नहीं भूली वो लड़की इक ज़माने से
ये पतझड़ लौट आएगा भरी अपनी जवानी पर
बहारें लौट आएँगी तुम्हारे लौट आने से
मेरी दुनिया बड़ी दिलकश यहाँ अपने नज़ारे हैं
यहाँ पर हिज्र के मौसम भी लगते हैं सुहाने से
चलो सोहिल ख़ुदा के घर तुम्हारा वक़्त आया है
मुझे दुनिया नज़र आई यही इल्हाम आने से
Read Full