रूमाल रख कि इन आँखों में नमी लगेगी
हाँलाकि आज मेरी बातें सही लगेगी
फिर नाम,रूतबा,दौलत या महल असासा
चाहे जहाँ बना ले,माँ की कमी लगेगी
तहसील दार अब खसरा क्यूँ दिखा रहे हैं?
फिर से तिरी गली से मेरी गली लगेगी?
अख़बार भर दिया लाशों की ख़बर बना कर
यानी कलम लहू से लगभग सनी लगेगी
कोई नया ख़ुदा मेरे इर्द गिर्द मत रख
असली ख़ुदा की रहमत मुझ को नहीं लगेगी
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