Fahmida Riaz

Fahmida Riaz

@fahmida-riaz

Fahmida Riaz shayari collection includes sher, ghazal and nazm available in Hindi and English. Dive in Fahmida Riaz's shayari and don't forget to save your favorite ones.

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  • Ghazal
  • Nazm
ये पैरहन जो मिरी रूह का उतर न सका
तो नख़-ब-नख़ कहीं पैवस्त रेशा-ए-दिल था

मुझे मआल-ए-सफ़र का मलाल क्यूँ-कर हो
कि जब सफ़र ही मिरा फ़ासलों का धोका था

मैं जब फ़िराक़ की रातों में उस के साथ रही
वो फिर विसाल के लम्हों में क्यूँ अकेला था

वो वास्ते की तिरा दरमियाँ भी क्यूँ आए
ख़ुदा के साथ मिरा जिस्म क्यूँ न हो तन्हा

सराब हूँ मैं तिरी प्यास क्या बुझाऊँगी
इस इश्तियाक़ से तिश्ना ज़बाँ क़रीब न ला

सराब हूँ कि बदन की यही शहादत है
हर एक उज़्व में बहता है रेत का दरिया

जो मेरे लब पे है शायद वही सदाक़त है
जो मेरे दिल में है उस हर्फ़-ए-राएगाँ पे न जा

जिसे मैं तोड़ चुकी हूँ वो रौशनी का तिलिस्म
शुआ-ए-नूर-ए-अज़ल के सिवा कुछ और न था
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Fahmida Riaz
चार-सू है बड़ी वहशत का समाँ
किसी आसेब का साया है यहाँ

कोई आवाज़ सी है मर्सियाँ-ख़्वाँ
शहर का शहर बना गोरिस्ताँ

एक मख़्लूक़ जो बस्ती है यहाँ
जिस पे इंसाँ का गुज़रता है गुमाँ

ख़ुद तो साकित है मिसाल-ए-तस्वीर
जुम्बिश-ए-ग़ैर से है रक़्स-कुनाँ

कोई चेहरा नहीं जुज़ ज़ेर-ए-नक़ाब
न कोई जिस्म है जुज़ बे-दिल-ओ-जाँ

उलमा हैं दुश्मन-ए-फ़हम-ओ-तहक़ीक़
कोदनी शेवा-ए-दानिश-मंदाँ

शाइ'र-ए-क़ौम पे बन आई है
किज़्ब कैसे हो तसव्वुफ़ में निहाँ

लब हैं मसरूफ़-ए-क़सीदा-गोई
और आँखों में है ज़िल्लत उर्यां

सब्ज़ ख़त आक़िबत-ओ-दीं के असीर
पारसा ख़ुश-तन-ओ-नौ-ख़ेज़ जवाँ

ये ज़न-ए-नग़्मा-गर-ओ-इश्क़-शिआ'र
यास-ओ-हसरत से हुई है हैराँ

किस से अब आरज़ू-ए-वस्ल करें
इस ख़राबे में कोई मर्द कहाँ
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