विषैली सी हवाएँ हैं वतन में - Anis shah anis

विषैली सी हवाएँ हैं वतन में
घुला है ज़हर यूँ गंग-ओ-जमन में

क़फ़स में ही लगे महफ़ूज़ रहना
परिंदे अब नहीं उड़ते गगन में

लुटेगा कारवाँ कैसे नहीं अब
हुए रहबर ही शामिल राहज़न में

गुलों में जलने की बू आ रही है
लगाई आग ये किस ने चमन में

सियासत खेल अपना खेलती है
लड़ाती अब इबादत और भजन में

लुटाते जान अपनी सरहदों पर
जवान आते तिरंगे के कफ़न में

'अनीस' उस को कहें कैसे सुख़नवर
लिखे तहरीर ज़हरीली सुख़न में

- Anis shah anis
1 Like

More by Anis shah anis

As you were reading Shayari by Anis shah anis

Similar Writers

our suggestion based on Anis shah anis

Similar Moods

As you were reading undefined Shayari