ताज से सर तिरा सजाऊँगी - Arohi Tripathi

ताज से सर तिरा सजाऊँगी
तू जो कह दे क़सम से लाऊँगी

मैं ख़ुदा से दुआ ये करती हूँ
अपना शौहर तुम्हें बनाऊँगी

तेरी ख़्वाहिश गले लगाने की
जान इक दिन गले लगाऊँगी

सब्र करना ज़रूर होगा ये
घर की रौनक़ तुम्हें बनाऊँगी

यार ग़ुस्सा नहीं किया करते
प्यार से मैं उसे मनाऊँगी

बुत-परस्ती हराम है जानी
है ख़ुदा कौन ये पढ़ाऊँगी

तू न समझे तो कौन समझेगा
अब ख़ुदा को ही सब बताऊँगी

तू मुझे भूलने की कोशिश कर
याद मैं बार बार आऊँगी

काँच जैसे बिखर गया है दिल
दिल के टुकड़े तुम्हें दिखाऊँगी

हार कर ख़ुद-कुशी नहीं करते
यार जीना तुम्हें सिखाऊँगी

छोड़ती हूँ ख़ुदा की रहमत पर
उसकी रहमत हुई तो पाऊँगी

- Arohi Tripathi
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