ज़िन्दगी में अजीब पल आया
आँख से ख़ून सा निकल आया
खो गया दिल पता चला है तब
उनकी बस्ती से जब निकल आया
लुत्फ़ ग़म का लिया करो यारो
दिल मे ग़म का अज़ीब हल आया
ज़ख़्म दिल पे लगाने के ख़ातिर
यार चहरा बदल - बदल आया
अब तो यारब पनाह में ले ले
आरज़ू मैं सभी कुचल आया
मन्ज़िलों की तलाश में यारब
हर कदम पर नया ख़लल आया
ज़ब्त की हद "धरम" ने तोड़ी हैं
खूंँ गरम था अभी उबल आया
As you were reading Shayari by Dharamraj deshraj
our suggestion based on Dharamraj deshraj
As you were reading undefined Shayari