इतना कहाँ आसान था चर्बा तेरा
हर शख़्स को होना पड़ा क़श्क़ा तेरा
मैं चाहता था नाम तेरा कार्ड पर
पर अब ग़ज़ल में भर रहा चेहरा तेरा
फिर हिज्र को टाला गया कुछ और दिन
फिर ज़िद पे भारी पड़ गया गिर्या तेरा
जानाँ अभी तो दिल लगा था अस्ल में
जानाँ अभी से आ गया पर्चा तेरा
हमने सुनाई जब हमारी दास्ताँ
हर शख़्स को दिखने लगा चेहरा तेरा
उस ज़ुल्फ़ से उलझे यही है आरज़ू
बस मर गया ये सोच के तिश्ना तेरा
शाने बदलते जा रहे थे ज़ौक़ में
फिर रास्ते में आ गया कूचा तेरा
हमने सुना था आसमाँ पर शख़्स है
तो क्यों नहीं दिखता उसे गाज़ा तेरा
इक तो शराबी और फिर ख़ौफ़-ए-ख़ुदा
क्या ख़ूब है ये जन्नती रस्ता तेरा
'अंबर' फ़कत ख़ाली जगह और कुछ नहीं
तुझको कहाँ दिखने लगा कमरा तेरा
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