मैं ज़िंदगी के दिन ऐसे सँवार लेता हूँ - Hasan Raqim

मैं ज़िंदगी के दिन ऐसे सँवार लेता हूँ
कि तेरे साथ में कुछ पल गुज़ार लेता हूँ

मैं दूसरों की ख़ुशी ख़ुद से पहले रखता हूँ
जहाँ पे जीत भी सकता हूँ हार लेता हूँ

पुकारते हैं मुसीबत में लोग अपनों को
सो मैं भी अपने ग़मों को पुकार लेता हूँ

सँभाल लेता हूँ ख़ुद को मैं लड़खड़ाकर भी
जहाँ भी गिरता हूँ रस्ते सुधार लेता हूँ

- Hasan Raqim
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