इतना भी तू मक्कार मत बनना
फिर तू कभी सरदार मत बनना
तू साथ तो देना सभी का पर
सबकी तो तू दरकार मत बनना
जो पीठ में ही घोंप दे चाक़ू
तू यार बस वो यार मत बनना
हक़ और किसी का मारना हो तो
ऐसी जगह हक़दार मत बनना
जो गिड़गिड़ाकर माँगना हो यार
तू तो कभी वो प्यार मत बनना
बनना सहारा हर दफ़ा सबका
पर मुफ़्लिसी की मार मत बनना
बेटी जहाँ ज़िन्दा जला दी हो
वैसा कभी परिवार मत बनना
इनकार जिससे कर रहे हों सब
बस उसका तू इनकार मत बनना
इक द्रोपदी का चीर उतरे है
तू देव वो दरबार मत बनना
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