ये मेरा शेर है इसको न कहना मीर-ओ-ग़ालिब का
नहीं आता यहाँ पर ज़िक्र जू-ए-शीर-ओ ग़ालिब का
मेरे महबूब ने शाइर नहीं होने दिया मुझको
सहारा लेना पड़ता है मुझे तकदीर-ओ-ग़ालिब का
न मैं राँझा न ही वो भी कोई उमराव बेगम हैं
अजब जोड़ा बनाया इश्क़ ने ये हीर-ओ-ग़ालिब का
मेरी हिस्से की सब जागीर मेरे भाई की होगी
कहीं देखा है होता मेल क्या जागीर-ओ-ग़ालिब का
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