जानता हूँ कि इसमें हारूँगा
ख़ुद को पर जंग में उतारूँगा
वो निशाने पे है नहीं लेकिन
इश्क़ में तीर मैं ही मारूँगा
तू मुझे बस पिला दे थोड़ी सी
तेरा सारा नशा उतारूँगा
तू मुझे होश में तो जाने दे
तेरा सारा नशा उतारूँगा
ज़िन्दगी कर ले कोशिशें सारी
मौत आने तलक न हारूँगा
उसके चेहरे में कुछ नहीं रक्खा
सर से पैरों तलक निहारूँगा
वो मुझे एक पल नहीं देता
जिसपे मैं ज़िन्दगी गुज़ारूँगा
और तो क्या करूँगा लेकिन हाँ
इश्क़ में हौसले न हारूँगा
जंग जीतूँ मैं या नहीं जीतूँ
बैरी की औरतें न मारूँगा
जब तलक आँख में रहेगा वो
तब तलक उसको मैं पुकारूँगा
Read Full