काम निकल जाए फिर छोड़ा जाता है
दिल हौले-हौले से तोड़ा जाता है
मेरे आँसू कोई नहीं देखेगा यहाँ
मेरा इश्क़ हवस से जोड़ा जाता है
मेरे पास आते नहीं ख़ुद खारे दरिया
मेरी ओर उनका रुख़ मोड़ा जाता है
राह-ए-इश्क़ में धंदा खोल के बैठे हैं
हमारे याँ टूटा दिल जोड़ा जाता है
प्यार बहुत ही धीमा ज़हर-ए-क़ातिल है
दिल के अंदर थोड़ा-थोड़ा जाता है
जाओ 'मिलन' और उसके दर पर मारो सर
दीवारों से सर नहीं फोड़ा जाता है
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