साथ में वो किसी को नज़र आ गया तो - Saahir

साथ में वो किसी को नज़र आ गया तो
और इस कशमकश में ही घर आ गया तो

तुम मुझे देख जैसे नज़र फेरती हो
दिल तुम्हारे इसी नखरे पर आ गया तो

क्या कहा रंग चढ़ता नहीं है किसी का
हाँ मग़र तुम पे मेरा असर आ गया तो?

वो जिसे तुमने भेजा है मालूम करने
वो भी वापस यहाँ बे-ख़बर आ गया तो?

सेठ दफ़्तर से सारे पते जानता है
ढूँढते ढूँढते मेरे घर आ गया तो

गाँव से शहर को जोड़ तो दूँ सड़क से
वो मगर बीच कोई शजर आ गया तो?

हाथ रखना जरा तंग देते हुए इश्क़
वो ज़ियादा कहीं बाँट कर आ गया तो ?

इश्क़ बचपन में ये सोच कर के किया था
जो जवानी में ऐसा सफ़र आ गया तो

- Saahir
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