यूँ तो कितने ही नौनिहाल उठे - Rohit tewatia 'Ishq'

यूँ तो कितने ही नौनिहाल उठे
जब उठे हम तो बा-कमाल उठे

मैं तो दफ़्तर से आ के लेटा था
फिर अचानक तेरे ख़याल उठे

कोई शाइर हो शे’र कहता हो
है मेरे सामने मजाल उठे ?

मैं मुहब्बत में जीत जाता पर
उस तरफ़ से जो कोतवाल उठे

मुझको उससे बिछड़ के मरना था
ख़्वाह मख़ाह इश्क़ पर सवाल उठे

- Rohit tewatia 'Ishq'
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