ग़लतियों की मेरी यूँ सज़ा दो मुझे - Tarun Bharadwaj

ग़लतियों की मेरी यूँ सज़ा दो मुझे
दिल से होकर ख़फ़ा बद्दुआ दो मुझे

बिन बताए गये वो मुझे छोड़ कर
रूठे दिलबर से मेरे मिला दो मुझे

उसकी ख़ुशबू हवाओं में मौजूद है
उसके घर का पता भी बता दो मुझे

कितनी मुद्दत से जागा हूॅं मैं इश्क़ में
अपनी बाँहों में थोड़ा सुला दो मुझे

मंज़िल-ए-नौ मिरे पाँव को चाहिए
राह-बर दूसरा रास्ता दो मुझे

मैंने देखे हैं नफ़रत से हारे ख़ुदा
हो कहीं इश्क़ का रब मिला दो मुझे

मैं हूँ आवारा बंजारा दर दर फिरूँ
अपने दिल में कोई आसरा दो मुझे

- Tarun Bharadwaj
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