दरख़्तों को जवाँ फूलों की सोहबत क्यूँ ज़रूरी है

  - Abhas Nalwaya Darpan

दरख़्तों को जवाँ फूलों की सोहबत क्यूँ ज़रूरी है
ये ज़ाती मसअला है पूछना मत, क्यूँ ज़रूरी है...

जफ़ा के दायरे पामाल करने से वफ़ा आयी,
झगड़ने से खुला हमपर मुहब्बत क्यूँ ज़रूरी है...!

परिंदों को क़फ़स में क़ैद देखा तब समझ आया,
हमारे ख़ून में आख़िर बग़ावत क्यूँ ज़रुरी है

नसीहत दे रहे हैं सब ये ऐसा हो वो वैसा हो ,
सयाने हैं सब इतने तो अदालत क्यूँ ज़रूरी है

बताऊँगा तुम्हें अपने तजरबे से कभी 'दर्पन'
ज़माने से भला ख़ुद की हिफाज़त क्यूँ ज़रूरी है...

-दर्पन-

  - Abhas Nalwaya Darpan

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