ज़रा शराब लाके दे दो मेरे ख़ून के लिए
कि आग चाहिए मुझे मिरे जुनून के लिए
है हाल अब वो मुफ़लिसी का मेरे घर के आज ओ कल
मै खून कर रहा हूं ख़ुद का ख़ुद के ख़ून के लिए
मिलेगा वो ही जो लिखा है मांगो य ना मांगो तुम
दुआ तो है तुम्हारे दिल के बस सुकून के लिए
जहान की सभी खुशियों को इख्ट्टा करके फिर
के क़ैद कर लिया है मैंने माह-ए-जून के लिए
ऐ हाक़िम-ए-शहर हैरान मत हो ये बता मुझे
दवा है तेरे पास मुझ जिसे ज़ुबून के लिए
नहीं है वो किसी भी मुक़ाबिल-ए-मकाम को
जुनून-ए-इश्क जिसको कम रहा जुनून के लिए
तिरा वो जोड़ा तेरे होने का भरम दिलाता है
वो जो मै लाया था तिरे मिरे शुगून के लिए
गुजरती है यूँ रोज़ ज़िन्दगी बेचैनियों में कि
सुकून से मै सोचूंगा कभी सुकून के लिए
तुम उसके हाल-ए-दिल पे गौर ठीक से दिया करो
के फ़ैज़ दर्द को बड़ाता है सुकून के लिए
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