main ye nahin kah saktaa ki ik lamha lagega
mumkin hai use bhoolne mein arsa lagega
main bewafa kyoon kehta hoon usko ye na socho
tum bas meri ghazalon ko suno achha lagega
main dekh nahin saktaa haseen khwaab bhi uske
ismein meri hi zindagi ka kharcha lagega
jab keel pe lag jaayegi tasveer puraani
tab tumko meri maut ka bhi sadma lagega
barbaad karega kisi din ishq tumhein bhi
us roz mera haal tumhein apna lagega
tum door ke raahi ho tumhein pyaas lagi hai
bas isliye sehra bhi tumhein dariya lagega
maine use bas ishq hi to karne kaha tha
usne to kaha iska alag paisa lagega
मैं ये नहीं कह सकता कि इक लम्हा लगेगा
मुमकिन है उसे भूलने में अर्सा लगेगा
मैं बेवफ़ा क्यूॅं कहता हूॅं उसको ये न सोचो
तुम बस मिरी ग़ज़लों को सुनो अच्छा लगेगा
मैं देख नहीं सकता हसीं ख़्वाब भी उसके
इसमें मिरी ही ज़िंदगी का खर्चा लगेगा
जब कील पे लग जाएगी तस्वीर पुरानी
तब तुमको मिरी मौत का भी सदमा लगेगा
बर्बाद करेगा किसी दिन इश्क़ तुम्हें भी
उस रोज़ मिरा हाल तुम्हें अपना लगेगा
तुम दूर के राही हो तुम्हें प्यास लगी है
बस इसलिए सहरा भी तुम्हें दरिया लगेगा
मैंने उसे बस इश्क़ ही तो करने कहा था
उसने तो कहा इसका अलग पैसा लगेगा
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