आँसू हैं बेकसी है मुसीबत है क्या करें
कमबख़्त दिल को आप की चाहत है क्या करें
दिल की लगी ने होश से बेगाना कर दिया
तुम को तो दिल-लगी है शरारत है क्या करें
क्या बे-ज़बान हैं कि शिकायत न कर सकें
यूँ कहिए ये हमारी शराफ़त है क्या करें
तुम बे-नियाज़ चल दिए जैसे ग़रज़ नहीं
वो लोग जिन को तुम से मुहब्बत है क्या करें
याद-ए-हबीब याद-ए-ख़ुदा याद-ए-आरज़ू
इक दिल है उस पे ऐसी क़यामत है क्या करें
राह-ए-वफ़ा में ख़्वार-ओ-परेशाँ हुई 'सबा'
बस वो है और कू-ए-मलामत है क्या करें
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