उतरी उतरी अपनी सूरत देखोगे

  - Hassam Tajub

उतरी उतरी अपनी सूरत देखोगे
जिस दिन हम जैसों की हिम्मत देखोगे

मेरे लिए खोदोगे कुएँ तो गिरोगे ख़ुद
और उसी दिन मेरी क़िस्मत देखोगे

गर पहली उम्मीद ख़ुदा से होगी तो
वक़्त-ए-आफ़त रब की क़ुदरत देखोगे

जब सीखोगे लोगों की इज़्ज़त करना
तब लोगों में अपनी इज़्ज़त देखोगे

जिस दिन ख़ालिक़ देगा तुमको इक बेटी
उस दिन से फिर घर में बरकत देखोगे

वक़्त मैं ऐसा लाऊँगा तुम मेरे लिए
दुश्मन के भी दिल में मोहब्बत देखोगे

  - Hassam Tajub

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