उतरी उतरी अपनी सूरत देखोगे
जिस दिन हम जैसों की हिम्मत देखोगे
मेरे लिए खोदोगे कुएँ तो गिरोगे ख़ुद
और उसी दिन मेरी क़िस्मत देखोगे
गर पहली उम्मीद ख़ुदा से होगी तो
वक़्त-ए-आफ़त रब की क़ुदरत देखोगे
जब सीखोगे लोगों की इज़्ज़त करना
तब लोगों में अपनी इज़्ज़त देखोगे
जिस दिन ख़ालिक़ देगा तुमको इक बेटी
उस दिन से फिर घर में बरकत देखोगे
वक़्त मैं ऐसा लाऊँगा तुम मेरे लिए
दुश्मन के भी दिल में मोहब्बत देखोगे
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