तुम अगर सीखना चाहो मुझे बतला देना
आम सा फ़न तो कोई है नहीं तोहफ़ा देना
एक ही शख़्स है जिसको ये हुनर आता है
रूठ जाने पे फ़ज़ा और भी महका देना
हुस्न दुनिया मे इसी काम को भेजा गया है
के जहाँ आग लगी हो उसे भड़का देना
उन बुजुर्गो का यही काम हुआ करता था
जहाँ ख़ूबी नज़र आई उसे चमका देना
दिल बताता है मुझे अक्ल की बातें क्या क्या
बंदा पूछे के तेरा है कोई लेना देना
और कुछ याद न रहता था लड़ाई में उसे
हाँ मगर मेरे गुजिश्ता का हवाला देना
उसकी फ़ितरत में न था तर्क-ए-तअल्लुक़ लेकिन
दूसरे शख़्स को इस नहद पे पहुँचा देना
जानता था कि बहुत खाक उड़ाएगा मेरी
कोई आसान नहीं था उसे रस्ता देना
क्या पता ख़ुद से छिड़ी जंग कहाँ ले जाए
जब भी याद आऊँ मेरी जान का सदका देना
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