फिर उनसे दिल लगा कर देखते हैं - Karan Sahar

फिर उनसे दिल लगा कर देखते हैं
नए रिश्ते बना कर देखते हैं

बड़ा ज़रख़ेज़ है दामन तुम्हारा
कोई आँसू गिरा कर देखते हैं

नए तो कुछ नहीं लगते कि जब हम
पुराने ग़म उठा कर देखते हैं

ये किसके नूर से रौशन है कमरा
चराग़ों को बुझा कर देखते हैं

ग़ज़ल में कुछ कमी सी लग रही है
तुम्हें शेरों में ला कर देखते हैं

मज़े की बात ये है फूल भी अब
तुम्हें ही मुस्कुरा कर देखते हैं

- Karan Sahar
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